फैटी लिवर कैसे होता है – लीवर में फैट जमने की असली वजह

Fatty liver causes explained

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आजकल फैटी लिवर की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। पहले यह बीमारी ज़्यादातर उम्रदराज़ लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवाओं में भी आम हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है – गलत खानपान, कम शारीरिक गतिविधि और अनियमित दिनचर्या।

लिवर हमारे शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है। यह भोजन को पचाने, शरीर से ज़हर निकालने और ऊर्जा को संग्रहित करने का काम करता है। लेकिन जब लिवर में अत्यधिक मात्रा में चर्बी (fat) जमा हो जाती है, तो उसकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। यही स्थिति “फैटी लिवर” कहलाती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे – फैटी लिवर क्या है, इसके प्रकार, असली कारण, लक्षण, बचाव के उपाय और इलाज की जानकारी।

 

फैटी लिवर क्या होता है?

जब लिवर की कोशिकाओं में सामान्य से ज़्यादा चर्बी जमा हो जाती है यानी लिवर के वजन का 5% से अधिक हिस्सा फैट का हो तो उसे फैटी लिवर डिज़ीज़ कहा जाता है।

यह स्थिति शुरुआत में नुकसानदायक नहीं लगती, लेकिन अगर इसे समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह लिवर सिरोसिस या लिवर फेल्योर जैसी गंभीर बीमारियों में बदल सकती है।

 

फैटी लिवर के प्रकार

फैटी लिवर को दो मुख्य भागों में बांटा गया है:

  1. NAFLD (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease)

यह उन लोगों में होता है जो शराब नहीं पीते, लेकिन फिर भी उनके लिवर में फैट जम जाता है।
इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली है जैसे जंक फूड, मोटापा, डायबिटीज़ आदि।

  1. AFLD (Alcoholic Fatty Liver Disease)

यह स्थिति शराब के अत्यधिक सेवन से होती है।
शराब लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और उनमें फैट जमा होने लगता है।

 

 फैटी लिवर के प्रमुख कारण

लिवर में फैट जमने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ प्रमुख वजहें नीचे दी गई हैं

  1. अनियमित खानपान
  • बहुत अधिक तली-भुनी, जंक या मीठी चीज़ें खाना
  • दिनभर में बार-बार स्नैकिंग करना
  • देर रात खाना खाना या तुरंत सो जाना
  1. मोटापा

शरीर में जब वसा (Fat) अधिक बढ़ जाती है, तो उसका कुछ हिस्सा लिवर में जमा होने लगता है।
मोटे लोगों में NAFLD का खतरा बहुत अधिक होता है।

  1. डायबिटीज़

ब्लड शुगर लेवल ज़्यादा रहने से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, जिससे लिवर में फैट जमा होने लगता है।

  1. शराब का अत्यधिक सेवन

शराब लिवर की कोशिकाओं को कमजोर कर देती है, जिससे उनमें फैट इकट्ठा होने लगता है।

  1. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना

खून में ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होने से भी लिवर में फैट बढ़ता है।

  1. शारीरिक निष्क्रियता

जो लोग दिनभर बैठे रहते हैं या शारीरिक मेहनत नहीं करते, उनमें फैटी लिवर का खतरा ज़्यादा होता है।

  1. कुछ दवाओं का प्रभाव

स्टेरॉयड, एंटी-डिप्रेशन या ब्लड प्रेशर की कुछ दवाइयाँ लंबे समय तक लेने से भी यह समस्या हो सकती है।

 

फैटी लिवर के लक्षण

फैटी लिवर की समस्या शुरुआत में अक्सर लक्षणहीन होती है।
लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, निम्न लक्षण दिखाई देने लगते हैं:

  • पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में भारीपन या दर्द
  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • भूख कम लगना
  • उल्टी या जी घबराना
  • वजन में अचानक कमी
  • त्वचा या आँखों का पीला पड़ना (जॉन्डिस)
  • पेट फूलना

यदि ये लक्षण लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 

फैटी लिवर की जांच कैसे की जाती है?

फैटी लिवर की पुष्टि के लिए डॉक्टर कुछ जांचें करवाने की सलाह देते हैं:

  1. ब्लड टेस्ट  – लिवर एंजाइम्स का स्तर मापा जाता है।
  2. अल्ट्रासाउंड जांच – लिवर में फैट की मात्रा और उसकी संरचना देखी जाती है।
  3. CT Scan या MRI – गंभीर मामलों में लिवर की विस्तृत स्थिति का पता लगाया जाता है।
  4. लिवर बायोप्सी – लिवर के ऊतक का छोटा नमूना लेकर जांच की जाती है।

 

फैटी लिवर के खतरे

अगर फैटी लिवर को नजरअंदाज़ किया जाए, तो यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकता है।
इसके परिणामस्वरूप निम्न स्थितियाँ हो सकती हैं:

  • लिवर में सूजन आ जाती है।
  • लिवर में ऊतक सख्त होने लगते हैं।
  • लिवर की कार्यक्षमता बहुत घट जाती है।
  • अंतिम चरण में लिवर पूरी तरह से काम करना बंद कर सकता है।

इसलिए शुरुआती स्तर पर इसका उपचार और जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है।

 

फैटी लिवर से बचाव के उपाय

फैटी लिवर को रोका जा सकता है अगर आप कुछ सरल आदतें अपनाएँ

  1. स्वस्थ आहार लें
  • ताजे फल, हरी सब्जियाँ, साबुत अनाज और दालें खाएँ।
  • चीनी, मैदा और जंक फूड से परहेज करें।
  • ऑयली फूड की मात्रा सीमित रखें।
  1. वजन नियंत्रित रखें
  • नियमित व्यायाम करें — कम से कम 30 मिनट की वॉक या योग रोज़ाना करें।
  • शरीर का वजन सामान्य BMI के अनुसार रखें।
  1. शराब से दूरी रखें
  • शराब फैटी लिवर की सबसे बड़ी वजहों में से एक है, इसे पूरी तरह से त्यागें।
  1. ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें
  • डायबिटीज़ और कोलेस्ट्रॉल के मरीज नियमित जांच करवाते रहें।
  1. पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करें
  • नींद की कमी और तनाव भी हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं।

 

फैटी लिवर का इलाज

फैटी लिवर के शुरुआती चरण में दवा से ज़्यादा असर जीवनशैली में सुधार से आता है।
डॉक्टर कुछ दवाइयाँ या सप्लीमेंट दे सकते हैं, जो लिवर की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं।
गंभीर मामलों में लिवर स्पेशलिस्ट की निगरानी में उपचार आवश्यक होता है।

चिरायु हॉस्पिटल, जयपुर में अनुभवी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट द्वारा फैटी लिवर और अन्य लिवर रोगों का आधुनिक उपचार किया जाता है।
अत्याधुनिक सुविधाओं, सटीक जांचों और व्यक्तिगत देखभाल के साथ यह शहर के top hospital in Jaipur में से एक माना जाता है।

 

निष्कर्ष

फैटी लिवर की समस्या आम होते हुए भी बेहद गंभीर बन सकती है, अगर इसे समय रहते न पहचाना जाए।
यह एक “साइलेंट डिज़ीज़” है जो बिना लक्षण के धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाती है।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, शराब से दूरी और समय-समय पर जांच करवाने से इस बीमारी से पूरी तरह बचा जा सकता है।

आपका लिवर आपके शरीर का इंजन है इसका ख्याल रखें, क्योंकि जब लिवर स्वस्थ रहेगा तभी शरीर भी स्वस्थ रहेगा।